दीमक
दीमक को श्वेत चीटी भी कहते हैं। यह स्वभाव से बहुभक्षी प्रकृति का कीट है। दलहनी फसलों के अतिरिक्त यह गेहूँ, ज्वार, मूँगफली, मक्का, गन्ना आदि को भी हानि पहुंचाता है। दीमक जडों को काटकर उसके अन्दर रहती है। यह सामान्यतः जमीन में झुन्ड में पायी जाती है। दीमक ग्रसित पौधे पीले पड़ने लगते हैं और आसानी से पहचाना जा साकता है तथा अन्ततः सूख जाते हैं। ऐसे पौधों के ऊपर भी दीमक मिट्टी की सुरगं बनाकर उसके अन्दर रहती है। दीमक ग्रसित पौधे आसानी से उखड़ जाते है तथा जड़ो में प्रायः दीमक के झुण्ड देखे जा सकते हैं इसका प्रकोप प्रयः बुवाई का तुरन्त बाद या पौधों की अवस्था में ही दिखने लगता है।
दीमक का प्रबन्धन
- क्लोरीपायरीफास 20 ई.सी. की 1.5 लीटर मात्रा प्रति 100 कि.ग्रा. बीज की दर से बीज शोधन करें।
- खड़ी फसल में 0.05 प्रतिशत क्लोरीपायरीफास के घोल को पौधों की जड़ों के पास छिड़काव करना चाहिए या 4 ली. क्लोरपाइरिफॉस 20 ई.सी. की मात्रा प्रति हे. की दर से सिंचाई के पानी के साथ दें।