महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश एवं गुजरात देश के प्रमुख अरहर उत्पादक राज्य हैं।
अरहर की खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली उच्च उर्वरतायुक्त दोमट भूमि उपयुक्त होती है। खेत में पानी का ठहराव फसल को हानि पहुँचाता है।
यू.पी.ए.एस. 120, पूसा 992, मानक, ए.एल. 201 तथा आई.सी.पी.एल. 151 अरहर की अल्पकालिक प्रजातियां हैं।
अगेती अरहर की फसल 135-145 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
IPA- 203, बहार, मालवीय अरहर-13, नरेन्द्र अरहर-1, पूसा 9 तथा अमर अरहर की दीर्घकालीन प्रजातियां हैं।
दीर्घकालीन अरहर की प्रजातियों की बुआई के लिए जुलाई का प्रथम पखवाड़ा उपयुक्त समय है।
डी.ए.11 (शरद्) तथा पूसा -9 प्रजातियां रबी-पूर्व बुआई के लिए उपयुक्त हैं।
मृदा परीक्षण के आधार पर समस्त उर्वरक अन्तिम जुताई के समय हल के पीछे कूंड में बीज की सतह से 2 से.मी. गहराई व 5 सेमी. पार्श्व (बगल) में देना सर्वोत्तम रहता है।
पंक्ति से पंक्ति की दूरी -
अगेती अरहर - 45-60 से.मी.
देर से पकने वाली अरहर - 60-70 से.मी.
रबी- पूर्व अरहर - 30-40 से.मी.
पौधे से पौधे की दूरी -
अगेती अरहर - 10-15 से.मी.
दीर्घकालीन अरहर - 15-20 से.मी.
रबी- पूर्व अरहर - 8-10 से.मी.
भारी मृदा एवं अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में अरहर की बुआई मेड़ों पर करने से पैदावार अधिक मिलती है।
मेड़ों पर बुआई करने से सिंचाई में पानी की मात्रा में 25-30 प्रतिशत की कमी होती है।
दीर्घकालीन अरहर की 2 पंक्तियों के बीच ज्वार, मक्का, मूंगफली अथवा उर्द की अन्तः फसल ली जा सकती है। यह आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है तथा दैवीय विपदाओं से बचाव भी प्रदान करती है।
उकठा अवरोधी प्रजातियां जैसे नरेन्द्र अरहर-1 नरेन्द्र अरहर-2, अमर तथा मालवीय अरहर-6 की बुआई करें। बीज-शोधित करके बोयें।
मृदा का सौर्यीकरण करें। इसके लिए मई-जून में खेत की जुताई करके छोड़ दें। तेज धूप से मृदा में रहने वाले जीवाणु नष्ट हो जायेंगे और रोग की संभावना कम हो जायेगी।
अरहर की ज्वार के साथ अंतः फसली खेती करें।
प्रतिरोधी प्रजातियां जैसे बहार, नरेन्द्र अरहर-1 व नरेन्द्र अरहर-2, मालवीय अरहर-13, शरद् बोएँ । रोगी पौधे को उखाड़कर जला दें। रोग वाहक कीट के नियंत्रण हेतु मेटासिस्टाक का छिड़काव करें।
भण्डारण हेतु दानों में नमी 9-10 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। भण्डारण में कीटों से सुरक्षा हेतु अल्यूमीनियम फास्फाइड की 2 गोली प्रति टन की दर से प्रयोग करें।
अरहर की उन्नत प्रजातियों के बीज निम्नलिखित स्थानों से प्राप्त किये जा सकते हैं
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