अल्पावधि की मूंग की प्रजाति का विकास आई.पी.एम. 205-7
भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर द्वारा मूंग की शीघ्र पकने वाली प्रजाति आई.पी.एम. 205-7 विकसित की गई हैं। यह विराट के नाम से जानी जाती है। इस प्रजाति को आई.पी.एम. 2-1 और ई.सी. 398889 के बीच संकरण से तैयार किया गया है। यह प्रजाति 52-55 दिन मे ही पककर तैयार हो जाती है। शीघ्र पकने के कारण इस प्रजाति को उत्तर पश्चिमी एवं मध्य भारत में गेहूं, आलू और सरसों के बाद बोया जा सकता है, जिसे मानसून शुरू होने के पूर्व ही काटा जा सकता है। आई.पी.एम. 205-7 की औसत उपज 10-12 कु./हे. है व इस प्रजाति का पौधा छोटा एवं सीधा तथा बीज हरा, अण्डाकार एवं चमकदार होता है। इसके प्रति 100 दानां का भार लगभग 4.2 ग्राम है। इस प्रजाति के बीजों में उच्च प्रोटीन (25ः) मात्रा पायी जाती है। यह प्रजाति मूंग के पीत चितेरी रोग तथा चूर्ण आसिता और सरकोस्पोरा पत्ती धब्बा रोगों के प्रति प्रतिरोधी है। यह प्रजाति ग्रीष्म ऋतु में उत्तर पश्चिमी मैदान, उत्तर पूर्वी मैदान, मध्य भारत एवं दक्षिण भारत में सिंचित क्षेत्रों के लिए अनुमोदित है जिनमें मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश व कर्नाटक राज्य सम्मिलित हैं।
मूंग की आई.पी.एम. 410-3 प्रजाति का विकास
मूँग की आई.पी.एम. 410-3 प्रजाति का बीज हरा चमकदार तथा अण्डाकार होता है जिसका विकास आई.पी.एम. 03-1 और एन.एम.- के संकरण द्वारा हुआ है। यह प्रजाति उच्च उत्पादन क्षमता के साथ-साथ विस्तृत क्षेत्र के उत्पादन के लिए अनुकूल और रोग प्रतिरोधी है। यह प्रजाति उत्तर पश्चिमी मैदानी और मध्य मैदानी क्षेत्रों की अन्य प्रजातियों की अपेक्षा उपज में ज्यादा अनुकूल पायी जाती है।
आई.पी.एम. 410-3 की औसत क्षमता उत्पादन से 1197 से 1199 कि.ग्रा./हे. है। यह प्रजाति उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों की जाँच प्रजाति आई.पी.एम. 20-3से 10.55% तथा मध्य मैदानी क्षेत्रों की जाँच प्रजाति पूसा 9531 6.5% अधिक उत्पादन देने में पायी गई है। यह प्रजाति मूंग के पीत चितेरी तथा चूर्ण आसिता रोग व सरकोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग प्रतिरोधी है। यह प्रजाति देश के उत्तरी पश्चिमी तथा मध्य मैदानी क्षेत्रों में 67-74 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इस प्रजाति का बीज हरा, आकर्षक व मध्यम आकार का बडा दाना होता है, अतः यह प्रजाति अनुमोदित क्षेत्र मे वसंत ऋतु में किसानों के लिए उपयुक्त विकल्प है।
मटर की उन्नत प्रजाति आई पी एफ डी 10-12
मटर की उन्नत प्रजाति आई पी एफ डी 10-12
मटर की उन्नत प्रजाति आई पी एफ डी 10-12 को भा.कृ.अनु.प.-भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर द्वारा वर्ष 2006 में विकसित किया गया थाI यह प्रजाति भारत के मध्य वर्ती क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश का बुन्देलखण्ड क्षेत्र, गुजरात तथा दक्षिण राजस्थान राज्यों के लिए संस्तुत हैI यह प्रजाति बौनी, पत्तियुक्त है तथा इसके बीज हरे रंग के होते हैंI
यह प्रजाति लगभग 109 दिनों में पककर तैयार हो जाती है तथा इसकी औसत उत्पादन क्षमता 9-10कु./एकड़ हैI यह प्रजाति चूर्णिल आसिता प्रतिरोधी भी हैI