मसूर भारत में रबी मैसम में उगायें जानें वाली प्रमुख दलहनी फसल हैं। हमारे देश में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, विहार, और पश्चिम बंगाल प्रमुख उत्पादक राज्य है जिनका कुल उत्पादन में 80 प्रतिशित योगदान है। मसूर की खेती हमारे देश में प्रायः असिंचित क्षेत्रों में मक्का या धान की फसल लेने के बाद की जाती है लेकिन पश्चिमी बंगाल में जूट के बाद तथा मध्य प्रदेश और महाराष्ट में कपास के बाद की जाती हैं। उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्रो में मसूर एकल फसल के रूप में उगाते हैं। जबकि पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के निचले क्षेत्रों में उतेरा विधि से मसूर की खेती की जाती हैं, जिसमें धान की खड़ी फसल को काटने के 7 से 10 दिन पूर्व मसूर की बुवाई की जाती हैं। चूँकि मसूर की फसल सूखा सहने की क्षमता रखती है इसलिए भारत के पूर्वी तथा मध्य भाग के बारानी क्षेत्रों में इसकी खेती अत्यन्त प्रचलित है। इसे धान के बाद उतेरा विधि से बिना किसी अतिरिक्त लागत के सफलतापूर्वक उगाया जाता है। उत्तरी मैदानी क्षेत्रों तथा निचले पहाड़ी क्षेत्रों में जहॉ जाड़ा अधिक पड़ता है, पाले के प्रति इस फसल में सहिष्णुता के कारण इसकी खेती अत्यन्त सफल हो रही है। मसूर भारत में रबी मौसम में उगाये जाने वाली एक प्रमुख दलहनी फसल हैं ।
अंतः फसल के रूप में मध्य प्रदेश, पूर्वी राजस्थान और उत्तर प्रदेश के बुन्देल खण्ड क्षेत्रों में मसूर की खेती सरसों के साथ तथा उत्तर प्रदेश के मध्य क्षेत्रों में अलसी, सरसों अथवा चना के साथ मिश्रित या अंत फसल के रूप में मसूर की खेती की जाती है।