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बीज शोधन

मसूर की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए बुवाई के पहले बीजों का शोधन अत्यन्त आवश्यक है। ऐसा करने से मसूर की फसल में बीज जनित रोगों को नियन्त्रित किया जा सकता हैं। 

कवकनाशियों द्वारा बीज शोधन

बीज जनित रोगों से बचाव के लिए 2 ग्राम थीरम + 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम अथवा 3 ग्राम थीरम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से शोधित करना चाहिए। बीज शोधन राइजोबियम कल्चर से बीजोपचार करने के 2 से 3 दिन पूर्व करना चाहिए।

 

ट्राइकोडर्मा द्वारा बीज शोधन

ट्राइकोडर्मा मृदा में पाया जाने वाला एक ऐसा कवक है जो मृदाजनित उकठा रोग के जीवाणुओं का विनाश करता है अथवा उनको प्रभावहीन बना देता है। मसूर में कार्बोक्सिन के साथ ट्राइकोडर्मा हर्जिएनम  को मिलाकर बुआई से पूर्व बीज शोधन करने पर जैव नियंत्रण दक्षता बढ़ जाती है।  ट्राइकोडर्मा की 4-5 ग्राम मात्रा प्रति किलो बीज के लिए पर्याप्त होती है। 

 

राइजोबियम कल्चर से मसूर के बीज का उपचारः 

कवकनाशी से शोधित बीजों को 2 से 3 दिन बाद यदि राइजोबियम कल्चर से उपचारित कर लिया जाये तो इससे उत्पादन में 10-12 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करने से पौधों की जडों की गांठों में पाये जाने वाले जीवाणु पर्याप्त संख्या में होते है जो कि वायुमण्डल की नाइट्रोजन को भूमि में स्थिर करते है और इस प्रकार उत्पादन वृद्धि में सहायक होते है। मसूर के 10 किलोग्राम बीजों को उपचारित करने के लिये राइजोबियम कल्चर का एक पैकेट पर्याप्त होता है। बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करने की एक साधारण विधि हैं। इसके लिए 50 ग्राम गुड़ अथवा चीनी को आधा लीटर पानी में घोल कर उबाल लें। ठंडा होने पर इस घोल में एक पैकेट राइजोबियम कल्चर एवं थोड़ा गोद (4-5 मी.ली.) को मिला दें। बाल्टी में 10 किलोग्राम बीज डालकर अच्छी प्रकार मिलायें ताकि सभी बीजों पर कल्चर का लेप चिपक जाये। इसके बाद उपचारित बीजों को 8-10 घंटे तक छाया में सुखाकर बुवाई के लिए प्रयोग करें। 

इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उपचारित बीजों को धूप में न सुखाया जाए। बीजोपचार दोपहर के बाद करें जिससे बीज शाम को अथवा दूसरे दिन बोया जा सके। राइजोबियम से उपचारित करने के बाद बीज को कवकनाशी/फास्फेट घोलक जीवाणु (पी.एस.बी.) कल्चर का प्रयोग पौधों को फास्फोरस की उपलब्धता बढ़ाता हैं जिसके प्रयोग से उत्पादन पर अनुकूल प्रभाव पडता है। इसका प्रयोग राइजोबियम कल्चर के साथ किया जा सकता है। उर्वरक की मात्रा प्रारम्भिक तौर पर मृदा की उर्वरक शक्ति मिटटी में नमी को मात्रा , बीज का जीनोटाइप , और र्काबनिक अवशेष की मात्रा पर निर्भर करती है।