सिंचाई प्रबंधन
हालाकि मसूर सामान्यता पानी की कमी वाली स्थितियों में बोयी जाती है किन्तु शीतकालीन वर्षा न होने की दशा में सिंचाई की आवश्यक पड़ती है। फली बनने के समय नमी की कमी नही होनी चाहिए सिंचित क्षेत्रों में सामान्यतः बुवाई के 45-60 दिन बाद एक हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है। लेकिन वर्षा होने की स्थिति में सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है। स्प्रिंकलर विधि से मसूर में सिंचाई करना सर्वोतम होता है। फसल में फूल व फलियाँ बनने की अवस्था में सिंचाई करने से फसल को हानि होती है क्योंकि फूल झड़ सकते है। देर से बुवाई की परिस्थितियों में सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है जिससे जड़ो का भली प्रकार से विकास नहीं हो पाता है।