फली मक्खी (मेलनोगरोमैजा अटुयसा)
अरहर की फली मक्खी उत्तर भारत में देर से पकने वाली अरहर की फसल का द्वितीय महत्वपूर्ण कीट हैं। यह ऐसा हानिकारक कीट है जिसकी सभी अवयस्क अवस्थायें जैसे अण्डा, सूंडी़ और कोषक अरहर की फली के अन्दर होती है। इस कारण फसल की हानि का सही अनुमान फसल की कटाई एवं पिटाई होने पर ही ज्ञात होता हैं इसलिये इस हानिकारक कीट को प्रबंधन कर पाना अपेक्षाकृत कठिन एवं दुसाध्य हैं।
लक्षण
प्रौढ़ मक्खी देखने में छोटी सी काली चमकदार घरेलू मक्खी की तरह होती हैं, अरहर की नयी अवयस्क फलियों में जब दाना सरसों से थोड़ा बड़ा बन जाता है तो मादा मक्खी छेद कर उसमें अण्डे दे देती है। अरहर की फली मक्खी से हानि उसकी अण्डें से बनी सूंडी़ द्वारा अविकसित व मुलायम दानों को खाने से होती है। दूसरी और तृतीय अवस्था की सूंडी़ अरहर के दानों में अन्दर गहरायी तक छेद करती है और स्टार्च तथा भू्रण को खाकर मल अन्दर भर देती है। पूरी तरह परिपक्व सूड़ी दाने से बाहर निकल कर अरहर की फली के आवरण में छोटा गोल छेद इस तरह बनाती है कि ऊपर सिर्फ छिल्ली लगी रहती सूड़ी धीरे-धीरे फली के अन्दर ही कोषक में परिवर्तित हो जाती है। फली मक्खी के कोषक से वयस्क मक्खी इस छिल्ली को फाडकर बाहर निकलती है और फली में छोटा सा गोल छेद बन जाता है। जब क्षतिग्रस्त अरहर की फलियों को खोलते हैं तो फली मक्खी की अपरिपक्व अवस्थायें या उनकी केंचुल फली की दीवार या दानों से लगी मिलती है। फली मक्खी के ग्रसित दाने मे गौण फफूँदी संक्रमण होता है। जिससे दाने खाने व बुवाई के लिए प्रयोग मे नही लाए जा सकते है।
प्रबन्धन
- नीम आधारित दवाईयाँ जैसे लेम्बडा साइहेलोथ्रिन 5 ई.सी. (0.8 मि.ली./ली. पानी में मिलाकर या लूफेनुरोन 5.4 ई.सी. (0.6 मि.ली./लीटर पानी में) का छिड़काव करें।
या
- डेल्टामेथ्रिन 2.8% ईसी @ 1 मि.ली. या इंडोक्साकार्ब 15.80% ईसी @ 0.6 मिली/लीटर का छिड़काव करें।
या
- इमेडाक्लोपिड 17.5 एस.एल. या (2.0 मि.ली.) + गुड़ (10 ग्राम) प्रति लीटर का प्रयोग करे।
या
- थाइमेथेक्सन 25 डब्ल्यू.जी. या (3.0 मि.ली.) + गुड़ (10 ग्राम) प्रति लीटर का प्रयोग करे।