समेकित कीट एवं रोग प्रबंधन फसल सुरक्षा का मिला जुला तंत्र है, जिससे सावधानी पूर्वक हनिकारक कीटों एवं रोगों के नियंत्रण तथा उनके प्रोकृतिक शत्रुओं के संरक्षण की प्रतिकियाओं पर ध्यान दिया जाता है। समेकित कीट एवं रोग प्रबंधन के मुख्य अंग हैं - हानिकारक कीटों व रोगों की निगरानी, समय से सस्य क्रियाओं का क्रियानवयन, जैविक नियंत्रण, प्रतिरोधी प्रजातियों का चयन, वानस्पतिक स्त्रोतों से प्राप्त कीटनाशक तथा उनका व्यवसायिक उत्पादन एवं प्रयोग, वातावरण को कम हानि पहँचाने वाले कीट/फफूँदी/सूत्रकृमिनाशी रसायनों का प्रयोग इत्यादि।
बुवाई से पहले
- गर्मी में गहरी जुताई।
- क्षेत्र के लिये संस्तुत प्रतिरोधी किस्मों का चयन।
- सूत्रकृमि ग्रसित खेत में नीम के बीज का पाउडर 50 कि.ग्रा /हे. या नीम की खली 500 कि.ग्रा/हे. की दर से अथवा फोरेट 10 जी का 1-1.5 कि.ग्रा सक्रिय अवयव /हे. की दर से उपयोग।
- उर्वरकों का संतुलन उपयोगः पोटाश सहित फसल में कीट सहनशीलता सुनिशिचत करने के लिये
बुवाई के समय
- क्षेत्र के लिये संस्तुत समय पर बुवार्इ।
- कार्बेन्डाजिम (1 ग्रा) + थिरम (2 ग्रा.)/कि.ग्रा बीज या ट्राइकोडमा (4 ग्रा.) + कार्बोक्सिन (1 ग्रा.) प्रति कि. ग्रा की दर से बीजोपचार
- सूत्रकृमि ग्रसित मिट्टी में बीज कार्बोसल्फान 3 ग्रा./कि.ग्रा. से बीजोपचार किया जा सकता है।
- बिवेरिया बेसियाना 10 ग्रा./कि.ग्रा. अथवा इमिडाक्लोप्रिड 70 डब्लू.एस 5 ग्रा./कि.ग्रा. की दर सें उपचार।
खड़ी फसल
- फसल की नियमितता निगरानी।
- चूर्णिला आसिता लगने पर घुलनशील गंधक 3 ग्रा./ली. अथवा कार्बेन्डाजिम 1 ग्रा./ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
- रतुआ का प्रकोप होने पर मैंकोजेब 2.5 ग्रा अथवा घुलन शील गंधक 2-3 ग्रा./ लीटर पानी के घोल का छिड़काव