उर्द में सम्मिलित फसल पद्वति व फसल चक्र
खरीफ में उर्द को सामान्यतः मक्का, बाजरा, अरहर तथा कपास के साथ अन्तः फसल के रुप में उगाया जाता है। उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, तथा तमिलनाडु में उर्द को कम अवधि में पकने वाली , तापमान व प्रकाश के प्रति असंवेदनशील तथा विभिन्न रोगों के प्रति प्रतिरोधी क्षमता वाली किस्मों के विकास के कारण उत्तरी भारत में उर्द की खेती एकल फयल के रूप में की जाती है 1:1 के अनुपात में अरहर के साथ उगाया जाता है। बसंत कालीन गन्ना के साथ-साथ उर्द को 1:2 अनुपात में उत्तर प्रदेश तथा उत्तरी बिहार में उगाया जाता है। पश्चिम बंगाल में इसकी टोसा जूट के साथ (मध्य फरवरी तथा मार्च बुवाई) अंतः फसली खेती की जाती है। अंतः खेती के लिए उर्द की ऐसी प्रजातियां का चुनाव करना चाहिए जो कम समय (70-80 दिन) में पक कर तैयार हो जाती है। देश के तटवर्ती क्षेत्रों में धान के बाद रबी ऋतु में उगाने के लिये उपयुक्त प्रजातियों के कारण उर्द की खेती में विस्तार हुआ है। साथ ही नई फसल पद्धतियों का विकास हुआ हैं जिसमें इन फसलों की अहम भूमिका है।
सिंचित दशाओं में उर्द को शामिल करके निम्नलिखित फसल प्रणालियाँ उपयुक्त पायी गयी हैंः