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दीमक
दीमक पौधों की जड़ों को काटकर उनके अन्दर रहती है। ग्रसित पौधों के ऊपर दीमक मिट्टी की सुरंगे बनाकर उसके भीतर रहती है। यह जड़, तने, पत्ती आदि सम्पूर्ण भागों को खाकर नष्ट कर देती है। जिससे सम्पूर्ण फसल को अत्यधिक हानि होती है।

दीमक का कीट प्रबंधन

  • क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. की 1.0 लीटर मात्रा से प्रति 100 कि.ग्रा.बीज का शोधन करने से दीमक का प्रकोप कम होता है।
  • खड़ी फसल में 0.05 % क्लोरोपायरीफॉस के घोल को पौधों की जड़ों के पास छिड़काव करना चाहिए।
  • यह कीट पौधे का रस चूस लेते हैं। और उनका स्वस्थय खाराब कर देते है। उग्र प्रकोप की परिस्थितियों में फसल उत्पाअन पर क्षति की दर उच्च होती है।

 प्रबन्धन :-

  • फूल आने की अवस्था में दीमक पर निगरानी रखे।
  • 2.0 ,03 डामेथोएड  या 0.05 प्रतिशत मेटासिस्ब्टॉक्स या 0.05 प्रतिशत मैलिथियान अथवा 0.04 मोनोक्रोटोफाम का छिड़काव करे।
  • सिंचाई के समय क्लोरपायरीफाम 20 ई. सी. प्रति हेक्टेयर की दर से प्रायोग करे