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फसल की कटाई एवं मड़ाई

उपरोक्त समस्त सस्य विधियों का अनुसरण करने के पश्चात् फसल परिपक्वता की स्थिति में आ जाती है। चना की फसल की कटाई विभिन्न क्षेत्रों में जलवायु, तापमान, आर्द्रता एवं दानों में नमी के अनुसार विभिन्न समयों पर होती है। सामान्य रुप से जब पोधों से पत्तियाँ झड़ जाती हैं या पीली या हल्की भूरी हो जाती हैं, फसल की कटाई कर ली जाती है। काबुली चना के लिए यह समय बहुत संवेदनशील माना जाता है। क्योंकि फसल की परिपक्वता का अनुमान पत्तियों एवं दानों की स्थिति पर निर्भर करता है। इसके लिए फली से दाना निकालकर दाँत से काटा जाये और ‘कट‘ की आवाज आए, तो अनुमान लग जायेगा की फाल पूर्ण रुप से परिपक्व हो चुकी है। यह भी ध्यान देना चाहिए की फसल के अधिक पकने से फलियाँ टूटकर मिट्टी में गिर जाती हैं जिससे उत्पादन पर असर पड़ता है। काटी गयी फसल को एक स्थान पर इकठ्ठा करके खलिहान में 4 -5 दिन तक सुखा कर मड़ाई की जाती है। मड़ाई थ्रेसर, मशीन अथवा टै्रक्टर को पौधों के ऊपर चलाकर की जाती है। भूसे या दानों को पंखों या प्राकृतिक हवा से अलग कर लिया जाता है और दानों को बोरों में भर लिया जाता है।