मटर का पौधा व फसल
मटर एक वर्षीय एवं शाकीय पादप है जो दो प्रकार के प्रारूपों में पाया जाता है, प्रथम तो वे जो लम्बा होता हैं और दूसरे वह जो सामान्यतया छोटे या बौने प्रकार का होता हैं। फूल, पत्ती के अक्ष पर स्थित ‘रेसीम्स’ से उत्पन्न होते हैं और पूर्णतया स्वतः परागित होते हैं। मटर का फूल क्लिस्टोगेमस प्रकार का होता है। इसका जनन भाग एक विशेष प्रकार की कील दल पुंजां से ढका रहता है। यह कील दलपुंज मटर के ‘कुल’ की विशेषता है। मटर में फूल सामान्यतया बुवाई के 40-50 दिन बाद आने शुरू हो जाते हैं, परन्तु कुछ विशेष स्थिति जैसे मौसम की प्रतिकूल परिस्थिति में ये 2-4 सप्ताह में ही आ जाते हैं। इनकी जड़ें मूसलादार एवं एक विशेष ग्रन्थि के साथ होती है जो प्रायः नत्रजन स्थिरीकरण का कार्य करती हैं। मटर का तना खोखला, पतला एवं रसीला होता है। इसकी पत्ती संयुक्त पिच्छाकार एवं तीन जोड़ी पत्रक (लीफलेट) युक्त होती है इनमें से ऊपरी भाग एक शाखा वाले प्रतान में रूपान्तरित रहता है।