मटर का भारतीय भोजन में प्रयोग एवं पोषक मान
मटर के दाने अत्यधिक प्रोटीनयुक्त (21.2-32.9%) होने के साथ-साथ इनमें पोषण मान की भी महत्ता होती है क्योंकि इनके दानों में दूसरे एण्टीन्यूट्रिशनल कारक भी नहीं होते हैं जिसके परिणामस्वरूप यह मानव एवं पशु आहार दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। प्रोटीन संगठन में ग्लोब्यूलीन प्रोटीन मटर के दानों में अधिक पायी जाती है। इसके अतिरिक्त इनमें आर्जीनिन, वैलीन, मेथियोनीन की भी अच्छी मात्रा पायी जाती है जो मानव शरीर के विकास हेतु आवश्यक है। मटर के दानों में प्राटीन एवं अमीनों एसिड के अतिरिक्त 56.74 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट एवं अघुलनशील रेशे भी पाये जाते हैं। बीज का बीज चोल एवं बीजपत्र रेशे से युक्त भाग होता है। मटर में मुख्यतः पोटैशियम (1.04%), फास्फोरस (0.39%), मैग्नीशियम (0.10%) एवं कैल्शियम (1.08%) अत्यधिक मात्रा में पाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त सूक्ष्म तत्वों में लोहा (97 पी.पी.एम.), सेलेनियम (42 पी.पी.एम.), जस्ता (41 पी.पी.एम.), मॉलिब्डेनम (12 पी.पी.एम.), मैग्नीज (11 पी.पी.एम.), तांबा (9 पी.पी.एम.) एवं बोरान (4 पी.पी.एम.) भी पाया जाता है। सेलेनियम की अधिक मात्रा उन स्थानों या क्षेत्रों के लिए वरदान साबित होती है जहाँ की मृदा में सेलेनियम की कमी है। कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार मटर के दानों में विटामिन सी, विटामिन बी1 (थायमीन), विटामिन बी6, विटामिन बी3 व विटामिन बी2 भी पाया जाता है। इसके अतिरिक्त दूसरे दलहनी फसलों की तरह इनमें भी कुछ फाइटो-केमिकल जैसे कैरोटिनाइड्स (ल्यूटिन व जिजैन्थिन) एवं बीटा-कैरोटीन, हरितलवक, फिनोलिक यौगिक (फ्लेवोनायड्स, सेपोनिन्स एवं आक्सिलेट) आदि भी प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं।
स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाये तो मटर के दानों में अच्छी गुणवत्ता वाले स्टार्च व रेशे पाये जाते हैं जो ग्लाइसेमिक सूचकांक को कम रखते हैं। इसके परिणामस्वरूप मधुमेह-2 को निंयत्रित करने में सहायता मिलती है। मटर में पाये जाने वाले घुलनशील खाद्य रेशे पित्त अम्ल के पुनर्वशोषण को कम करता है, निष्कर्षतः रक्त में कोलेस्ट्राल की मात्रा को कम करने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त फ्लेवोनाइड्स में कैंसर को उत्पन्न करने वाले तत्वों को नियंत्रित करने का गुण भी पाया जाता है। इसी प्रकार विटामिन सी, कैरोटिनाइड्स एवं विभिन्न प्रकार के फिनोलिक पदार्थ मटर में प्रतिआक्सीकारक का गुण रखते हैं। इसमें फिनोलिक संयुक्त रूप से एक प्राकृतिक प्रतिआक्सीकारक है जो विभिन्न प्रकार की बीमारियों जैसे-कैंसर, श्लेष्म शोथ रोग आदि को नियंत्रित करता है।