आर्द्र जड़ गलन
इस रोग से प्रकोपित पौधों की निचली पत्तियाँ हल्के पीले रंग की हो जाती है । पत्तियाँ नीचे की ओर मुड़कर सूखी और पीली पड़ जाती है। तनों और जड़ों पर खुरदरे खुरंट से पड़ जाते हैं। यह रोग जड-तंत्र सड़ा डालता है । यह रोग मृदाजनित है । रोग के बीजाणु वर्षो तक मिट्टी में जमें रहते हैं। हवा में 25 से 50 प्रतिशत की आपेक्षित आर्द्रता और 22 से 32 डिग्री सेल्सियस दिन का तापमान रोग पनपने में सहायक होता है।
रोकथाम
रोगग्राही फसल को उसी खेत में हर साल न उगाऐं । बीज का उपचार करने के लिए कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम + थीरम 2 ग्राम मात्रा एक किग्रा बीज में मिलाएं । फसल की अगेती बुआई से बचें तथा सिंचाई हल्की करें ।
जल विकासी की उचित व्यवस्था करें ।