बुआई का समय
दक्षिण व मध्य भारत में चने की बुवाई अक्टूबर के प्रथम पखवाड़े से लेकर नवम्बर के प्रथम पखावाड़े तक की जा सकती है। चने की खेती बरानी या असिंचित व सिंचित क्षेत्रों में की जाती है। वर्षा आधारित बरानी क्षेत्रों में चने की बुआई अक्टूबर के द्वितीय सप्ताह तक अवश्य कर लेनी चाहिए। सिंचित दशा में बुआई नवम्बर के द्वितीय सप्ताह तक तथा पिछेती बुआई दिसम्बर के प्रथम सप्ताह तक की जा सकती है। परन्तु उपज में कमी आ सकती है। क्योंकि देरी से बुवाई करने पर चना की फसल पर निम्नांकित दुष्प्रभाव पड़तें है।
1. फली बनते समय मृदा नमी में कमी एवं उच्च तापक्रम होने के कारण पौधे में तनाव/बलाधात होने के कारण दानों का कम बनना, गुणवत्ता में कमी एवं ऊपज में कमी आती है।
2. फली भेदक कीट का प्रकोप अधिक होता है। ऐसी परिस्थिति में अल्पावधि में पकने वाली किस्में ही उगाएँ।
बुआई की विधि