खरपतवार प्रबन्धन
फसल उत्पादन में खरपतवार बहुत ही घातक एवं बड़ी जैविक बाधा है। खरपतवार, फसल उत्पादकता घटाने के साथ ही उसकी गुणवत्ता में भी कमी लाता है। जैविक कारकों द्वारा कुल नुकसान का लगभग 37 प्रतिशत नुकसान केवल खरपतवारों के कारण होता है। खरपतवार से दलहन फसलों की पैदावार में औसतन 50-60 प्रतिशत तक की कमी देखी गई है, जो कि दलहन जाति एवं वंश तथा प्रबन्धन प्रणालियों पर निर्भर है। इसी प्रकार प्रभावी खरपतवार नियंत्रण से चना में 22-63 प्रतिशत तक पैदावार में वृद्धि अर्जित की गई है।
चने की फसल में बथुआ (चिनोपोडियम एल्बम), गेहूँसा (फेलेरिस माइनर), जंगली जई (एविना लूडोविसीयना), मोथा (साइपेरस रोटण्डस), जंगली गाजर (कोरोनोपस डाइडिमस) प्रमुख खरपतवार है।
खरपतवार प्रबन्धन की विधियाँ
खरपतवार नियंत्रण का मुख्य उद्देश्य अवांछनीय पौधों की वृद्धि को रोकना एवं उपयोगी पौधों की वृद्धि को बढ़ाना है। अव्यवस्थित खरपतवार नियंत्रण के तरीके अपनाना हमारा उद्देश्य नहीं होना चाहिए। खरपतवार प्रबन्धन के प्रमुख तरीके निम्नांकित है-
(क) खरपतवार रोकथाम: खरपतवारों का प्रवेश एवं स्थापना को रोकना, खरपतवार रोकथाम के लिए कारगर है। जैसे- खरपतवार मुक्त बीज की क्यारी बनाना, खाद को संदूषण मुक्त रखना, अजोत क्षेत्र को साफ रखना, कृषि मशीनों और यंत्रों को साफ रखना इत्यादि।
(ख) सस्य क्रियाएँ: इसमें कम लागत एवं पर्यावरण अनुकूल तरीके जैसे फसल पालन, फसल चक्र, उचित पौध आबादी, अन्तः फसल, संरक्षित जुताई इत्यादि तरीके अपनाए जा सकते है।
(ग) कृषि यांत्रिकी द्वारा खरपतवार प्रबन्धन: इस विधि द्वारा खरपतवार नाशीयंत्रों के प्रयोग द्वारा खरपतवारों को निकाला जा सकता है। मुख्य खरपतवार नाशीयंत्र निम्नाकिंत है। जैसे हस्तचालित निराई उपकरण, खुरपी, हस्तचालित हो, कुदाली, ग्रबर निराई उपकरण, खूँटीनुमा शुष्क भूमि हेतु निराई उपकरण, एकल पहिया हो, जुड़वाँ पहिया हो, शक्ति चालित झाड़नुमा जुताई यंत्र इत्यादि।
(घ) खरपतवार नाशी द्वारा खरपतवार नियंत्रण: सामान्यतः हाथों या खुरपी द्वारा खेत से खरपतवार निकालना एक प्रचलित तरीका है, परन्तु पिछले सालों से देखा गया है कि कृषि श्रमिकों की संख्या घटती जा रही है। अतः शाकनाषी या खरपतवारनाशी की माँग बढ़ती जा रही है। चना में निम्नांकित खरपतवार नाशी प्रयोग में लाए जा सकते है-
रबी दलहन हेतु संस्तुत खरपतवारनाशी
खरपतवारनाशी संस्तुत मात्रा | संक्रिय तत्व (ग्रा./हे.) |
उत्पाद (ग्रा. या मि.ली./हे.) |
प्रयोग का समय | विशेष |
पेन्डिमेथालिन | 750-1000 | 2500-3000 | बुवाई के तत्पश्चात् से अंकुरण पूर्व | अधिकतर एकवर्षीय घास को मारता है एवं कुछ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार भी मारता है। |
फ्लूक्लोरेलिन | 750-1000 | 1500-2000 | बुवाई पूर्व | सतह की मिट्टी में अच्छी तरह मिलाए। कई तरह के एकवर्षीय संकरी पत्ती एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को नियंत्रण करता है। |
मेटोलाक्लोर | 1000-2000 | 2000-3000 | बुवाई के बाद परन्तु अंकुरण से पहले | कई तरह के वार्षिक चौड़ी एवं संकरी पत्ती वाले खरपतवार नियंत्रण करता है। |
कुजालोफॉप ईथाइल | 50-100 | 1000-2000 | बुवाई के 15-20 दिन के मध्य | एकवर्षीय घासों को मारने हेतु कारगर है। |
पेन्डिमेथालिन(अंकुरण पूर्व)+ कुजालोफॉप ईथाइल (अंकुरण पश्चात्) |
1250+100 | 4170+2000 | बुवाई पश्चात् एवं अंकुरण पूर्व तथा बुवाई से 20-25 दिन के मध्य | ज्यादातर खरपतवार नियंत्रण करने हेतु उपयुक्त है। |