फसल ज्यामिति
संरक्षित मृदा नमी पर्याप्त नही होने की स्थिति में पलेवा करके बुवाई करनी चाहिए। चना को इतनी गहराई तक बोया जाना चाहिए ताकि बीज मृदा नमी के संपर्क में रहें। चना के उचित अंकुरण एवं आविर्भाव हेतु 5-8 से.मी. की गहराई पर चना की बुवाई करनी चाहिए। चना की बुवाई कतार में सीड ड्रिल द्वारा करना चाहिए। बारानी एवं सिंचित क्षेत्र में समय पर बुवाई करने पर कतार से कतार की दूरी 30 सेमी. एवं पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी. (33 पौधे प्रति वर्ग मी.) रखें, जबकि बारानी क्षेत्र में देरी से बूवाई करने पर कतार से कतार की दूरी 25 सेमी. एवं पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी. (40 पौधे प्रति वर्ग मी.)। चना की बुवाई उच्च क्यारी विधि या चौड़ी क्यारी एवं कूँड विधि द्वारा करने पर पानी की बचत, जल निकासी एवं अंतः शस्य क्रियाओं में फायदा होता है। पौधों की आबादी प्रबन्धन में बीज दर महत्वपूर्ण है। काबुली चने तथा ऊँची प्रजातियों में लाइन से लाइन की दूरी सेमी. तक बढ़ायी जा सकती है।
चना की उचित बीज दर
उर्वरता , बीज के आकार व बुवाई के समय के आधार पर बीज दर सुनिश्चित करनी चाहिये बड़े दानों की किस्मों की बीज दर बढ़ा देनी चाहिये ताकि पौधे का घ्नत्व सही रहे देर से बुवाई कि स्थिती में जजैसे घान के परती क्षोत्रों में समान्य फसल की आपेक्षा 20-25 प्रतिशात तक बीज दर बढ़ा देनी चाहिये इस प्रकार बीज के खराब अकुंर दर की दशा में बीज मात्रा को उसके अनुरूप समायोजित कर लेना चाहिये ।
बीज का आकार | 100 दानों का भार (ग्रा.) | बीज दर (किग्रा/है.) |
छोटा | <20 (जे.जी. 315), जे.ए.के.आई 9218 | 50-60 |
मध्यम | 20-30 (जे.जी. 11, जे.जी. 130) | 60-90 |
बड़ा | शुभ्रा, उज्जवल 30-40 (के.ए.के. 2, बिहार, एल.बी.ई.जी. 7) | 80-85 |
अधिक बड़ा | >40 (फूले जी. 0517, पी.के.वी. 4-1) | 90-100 |