स्तम्भ मूल संधि विगलन
इस रोग का कारक स्कलेरोशियम रोल्फज़ाई नामक कवक है। इस रोग का प्रकोप प्रायः सिंचित क्षेत्रों अथवा बुवाई के समय मृदा में नमी की बहुतायतता, भू-सतह पर कम सड़े हुए कार्बनिक पदार्थ की उपस्थिति, निम्न पी.एच. मान एवं उच्च तापक्रम (25-300o सेंटिग्रेड) होने पर अधिक होता है। इस रोग का प्रकोप देश के मध्य क्षेत्र में होता हैं। विशेषकर धान गेहूँ की फसल पद्वति जहा अपनायी जाती है। रोगाणु कवक मृदा में रक्तलेरोशिया के स्प मे जीवित रहता है।
रोग के लक्षण
रोग प्रबन्धन
ग्रीष्म ऋतु मे खेती की गहरी जुताई करे , बुवाई से पटले खेत से अवघटित पदार्थो की सफाई कर दे ।
बुवाई और अंकुरण के समय मृदा में अधिक नमी नहीं होनी चाहिए। राइजोलेक्स या वीटावेक्स 200 का प्रयोग बीज उपचार के लिये 3 ग्राम प्रति किग्रा की दर से करे ।
प्रबन्धन
कार्बोक्सि मिथाइन सेल्यूलोज ( सी एम सी ) और जी. वाइरेन्स का प्रयोग वीटावेक्स केक साथ करने से स्तम्भ मूल सन्धि विगलन तथा जड़ गलन दोनो रागो से लड़ने के लिये बेहतर रहता है।