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पर्ण सुरंगक

यह कीट मुख्यतः मटर की फसल को हानि पहुँचाता है। इस कीट के लार्वा (सुंड़ी) पत्तियों में भी सुरंग बनाकर बाहृय त्वचा के नीचे ऊतकों को नुकसान पहुँचाता है जिससे पर्ण हरित ऊतकों का हृास होता है एवं परिणामस्वरुप पौधे के प्रकाश संश्लेषण की क्षमता घट जाती है। सामान्यतः लार्वा पत्तियों के सिरे से बाहृय त्वचा में घुस कर सर्पिलाकार सुरंग बनाता हुआ मध्य शिरा की ओर जाता है। जैसे-जैसे लार्वा आकार में बड़ा होता है सुरंग की चैड़ाई बढती जाती है। सुरंगें पत्तियों की दोनों सतह पर देखी जा सकती हैं। इस कीट के वयस्क पत्तियों से रस चूसकर पौधे को हानि पहुँचाते हैं। इस कीट के आक्रमण से पौधे की उत्पादन क्षमता घट जाती है।

इस कीट का प्रकोप दिसम्बर से मार्च माह के मध्य देखने को मिलता है।

प्रवन्धन

डाईमेथोएट 30 ई सी दवा की लीटर मात्रा को 750 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से कीट का प्रकोप प्ररम्भ होते ही छिडकाव करें तथा 15 दिन मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से कीट का प्रकोप प्रीरम्भ होते ही छिडकाव करे तथा 15 दिन के अन्तराल पर पुनः छिडकाव करें।