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सफेद मक्खी 

यह कीट न केवल मूंग की फसल का प्रमुख कीट है अपितु यह पीत चितेरी विषाणु रोग का भी संवाहक है। यह पौधों की कोशिकाओं का रस चूसकर भोजन प्राप्त करता है। जिसके कारण पौधे की वृद्वि पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। पौधों की पत्तियाँ नीचे की तरफ मुड जाती है। सफेद मक्खी पौधो की पत्तियों पर काली फफूँदी की परत विकसित करती है, जिसके कारण प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 

प्रबंधन 

  • खेत एवं आस पास की मेडों पानी की नालियों इत्यादि में खरपतवारों का उचित प्रबंधन करना चाहिए क्योंकि खरपतवार इस कीट के विकल्पी पोषक होते हैं। 
  • इस कीट के प्रभ़्वी नियंत्रण हेतु मूंग की कीट अवरोधी प्रजातियाँ उगानी चाहिए। 
  • मूंग की पन्त मूंग 4, पी.डी.एम.139, नरेन्द्र मूंग 1, एम.एल. 818, आई.पी.एम.2-3, मेहा, आई.पी.एम.2-14 आदि प्रजातियाँ उगायें।
  • डाइमोथोएट 30 ई.सी. का (1.7 मिली/लीटर पानी में) घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करने से इस कीट के प्रकोप को कम किया जा सकता है।