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तना मक्खी

इस कीट का जीवन चक्र 11-22 दिन का होता है व्यस्क कीट मक्खी नीली रंग या गहरा हरे रंग की होती है। इस कीट की सूड़ियाँ पत्तियों में सुरंग बनाती है एवं उसके अन्दर किसी एक शिरा में प्रवेश करते हुए मध्य शिरा की ओर बढ़ती हैं तथा अन्ततः तने में प्रवेश कर जाती हैं। पौधों ऊपर की दो पत्तियों का मुरझा जाना व पौधों में पीलापन इस कीट के प्रकोप के लक्षण हैं। जिस भाग में इस कीट का प्रकोप होता है वे फूल जाते है और सडने लगते है। यह कीट मूंग में 5-20 प्रतिशत तक नुकसान पहुँचा सकता है। इनकी अधिकता होने पर पत्तियाँ भूरे रंग की होकर फूल जाती है। एैसे पौधो पर फलियां कम बनती है जिनमें अधिकतर फलियां खाली रह जाती है अथवा बीज बहुत छोटे आकार के होते है। 

प्रबंधन 

  • खेतों की साफ सफाई, निराई-गुडाई से इस कीट के नुकसान को कम किया जा सकता है।
  • अंकुरण की अवस्था में मक्खी बहुत अधिक प्रकोप करती है। बीज को ईमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. (5.0 मिली. प्रति कि.ग्रा.) को 100 मिली. पानी में एक घंटें तक भिगोने या थायोमेथोक्स 25 डब्ल्यू.जी. (5.0 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज) को 100 मि.ली. पानी मे भिगोने से तना मक्खी द्वारा फसल की प्रारंभिक अवस्था में नुकसान रोका जा सकता है।
  • फसल की बुवाई के 15 दिनों में इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. का (0.2 मि.ली. प्रति लीटर पानी) थायोमेथाक्साम 25 डब्लू. जी. का 0. 3 जी. प्रति लीटर की दर से फसल पर छिडकाव उपयोगी माना जाता है।