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चित्तीदार सूँडी (मरूका विट्राटा)

चित्तीदार सूँडी (मरूका विट्राटा)

यह कीट मूलतः अगेती अरहर का महत्वपूर्ण कीट है। परन्तु उर्द लोबिया सेम तथा अब यह कीट मूंग में भी क्षति पहुँचा रहा है और इसके द्वारा प्रभावित क्षेत्र व्यापक हो गया है।

इस कीट के  क्रीम रेग के लार्वा के प्रत्सेक हिस्से में ध्ब्बे होते है। यह लार्वा  फूल पत्तिया तथा विककिसत हो रही फलियों पर जाल के अन्दर हो  कलियों ,फूल  तथा फलियों को खाना शुरू कर देता है स व्रकार इस के कीट के  प्रकोप के करण फलियों में भारी कमी आती है।

 

प्रबंधन 

  • गर्मी में खेत की गहरी जुताई करें जिससे इस कीट कीडे़ की सुषुप्ता अवस्था (प्यूपा) नष्ट हो जाती है।
  • इस कीट की मादाएं प्रकाश पुंज की तरफ आकर्षित होती हैं, अतः खेत में प्रकाश प्रपंच (लाइट प्रपंच) लगायें जिससे प्रौढ नाशीजीव आकर्षित हो तथा उनको नष्ट किया जा सके।
  • नवजात सूडियाँ सामूहिक अवस्था में पायी जाती है। अतः इन्हें नष्ट कर दें तथा क्षतिग्रस्त पौधे को जला दें।
  • पत्तियों पर विकसित हो रही सूडियों को पत्तियों सहित पकड कर उन्हें किरासिन युक्त तेल में डालकर नष्ट कर दें। सूडियों को हाथ से नही पकडना चाहिए।
  • यदि इन सूडियों का प्रकोप अधिक हो तो इण्डोक्सोकार्व 14.5 एस.सी. (0.4 मिली प्रति लीटर पानी) अथवा फ़्लुबेन्डीमाईड 20% डब्लू जी @ 300 मिली/हे. की दर से फसल पर छिडकाव करना चाहिए। 
  • लार्वा के जल के अन्दर घुसने से पहले इमामेक्टिव बेन्जोएट 5 एस. का 0.5 जी. प्रति एल अथवा स्पाइनोसैड 45 एस सी का 0.2  मिली प्रति एल की दर से छिड़काव सवौत्तम है।