पोषक प्रबन्धन
दलहनी फसल होने के कारण मटर के पौधे को अधिक मात्रा में नत्रजन की आवश्यकता नहीं होती है। फिर भी खेत की तैयारी के समय उपलब्धता के अनुसार 10-15 टन गोबर खाद मृदा में मिला देना चाहिए। साथ ही 20-30 कि.ग्रा. नत्रजन लम्बी किस्म में तथा 40 कि.ग्रा. बौनी किस्म में खाद के पूरक के रूप में पौधे के निचले हिस्से में दिया जाना चाहिए। मृदा परीक्षण के उपरान्त आरम्भिक मात्रा के रूप में फास्फोरस एवं पोटैशियम का प्रयोग उपयुक्त होता है। यदि मृदा में इन पोषक तत्वों की कमी हो तो फास्फोरस क्रमशः 40 कि.ग्रा./हे0 लम्बी किस्म में तथा 40-60 कि.ग्रा./हे0 बौनी किस्म में, पोटैशियम 20-30 किग्रा0 और गंधक 20 कि.ग्रा./हे0 के साथ प्रयोग करना अधिक उपयुक्त है। उपरोक्त उर्वरक मिश्रण पौधों की स्थिति से 4-5 सेंटीमीटर की गहराई पर देना चाहिए। जिन मृदा में जिंक की कमी हो उसमें 15 कि.ग्रा./हे0 जिंक सल्फेट का प्रयोग करना चाहिए।