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खरपतवार प्रबंधन

खरपतवार प्रबंधन

बुवाई के बाद 40-45 दिन तक मटर की फसल खरपतवार रहित होनी चाहिए। बाद में मुख्य फसल बड़ी होने पर खरपतवार को बढ़ने नहीं देती है। खरपतवार भूमि में पोषक तत्वों और पानी के अवशोषण में मुख्य फसल का एक अच्छा प्रतिद्वन्दी होता है। जिसकी वजह से मुख्य फसल का प्रदर्शन घट जाता है। फलस्वरूप उपज में भारी कमी हो जाती है। मटर की फसल के मुख्य खरपतवार बथुआ, गजरी, चटरी-मटरी, सेंजी, अटका है। इनके अत्यधिक प्रकोप से उपज में भारी कमी होती है। इसलिए दो बार निराई-गुड़ाई क्रमशः पौध उगने के तीसरे और छठें सप्ताह में करके खेत को खरपतवार मुक्त रखना चाहिए। इसके बाद निराई नहीं करनी चाहिए अन्यथा मुख्य फसल को हानि पहुंचाती है। खेत को खर-पतवर से मुक्त रखने के लिए खरपतवार नाशी जैसे- पेन्डीमेथिलीन 30 ई.सी. का प्रयोग कर सकते हैं। इसके प्रभावी प्रयोग के लिए 600-800 लीटर पानी में 4-5 लीटर पेन्डीमेथिलीन 30 ई.सी./हेक्टेयर के हिसाब से बुवाई के तुरन्त बाद तथा अंकुरण के पहले छिड़काव करना चाहिए।

इसके उपरांत , बुवाई के 20-25 दिन के बाद क्यूजालोफोप एथाइल (5.0 ई सी) की 50-100 ग्राम सक्रिय मात्रा का उपयोग करें।