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सिंचाई प्रबंधन

शीत ऋतु में वर्षा एवं उपलब्ध मृदा नमी के आधार पर मटर की फसल में एक या दो सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। पहली सिंचाई बुवाई के 45 दिन बाद तथा दूसरी यदि आवश्यकता हो तो फली बनने के समय देना सर्वथा उपयुक्त है। मटर के फसल को कितनी सिंचाई दें यह उस मृदा की नमी तथा शीतकालीन वर्षा की मात्रा पर निर्भर करता है। यदि मिट्टी में नमी बिल्कुल ही नहीं है तो बुवाई के पहले एक बार सिंचाई करना आवश्यक है। कम नमी वाली मृदा में मटर की वृद्धि कम तथा जड़ों में गांठें भी कम बनती हैं। फसल में सिंचाई के समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। मृदा में सिंचाई के समय अधिक पानी न दे इसका भी ध्यान रखना चाहिए (नमी की अधिक मात्रा पौधे में पीलापन लाता है और उपज घट जाती है) लेकिन फली पकने के समय यदि पाला पड़ने की सम्भावना हो तो पानी आवश्यक है।