रतुआ रोग
इस रोग का प्रकोप उत्तर भारत के पर्वतीय एवं मैदानी क्षेत्रों में बहुतायत से होता हैं। यह रोग उत्तरी मैदानी क्षेत्रों में फरवरी/मार्च में इस रोग का प्रको
इस रोग का प्रकोप उत्तर भारत के पर्वतीय एवं मैदानी क्षेत्रों में बहुतायत से होता हैं। यह रोग उत्तरी मैदानी क्षेत्रों में फरवरी/मार्च में इस रोग का प्रकोप विशेष रूप से पत्तियों पर दिखाई देता है।
रतुआ यूरोमाइमीज विसिया फेबी नामक कवक द्वारा फैनने वाला एक प्रमुख रोग है जो कसकि अनुकूल परिस्थितियाँ होने पर कभी -कभी मसूर की समर्पूर्ण फसल को नष्ट कर देता है। भारत मं प्रयः मसूर का रतुआ रोग फरवरी - मार्च के महीने में प्रयः मसूर में दिखायी देता है। उत्तर प्रदेश , बिहार व पंजाब के तराई क्षेत्रों तथा मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी में यह उग्र रूप में दिखायी देता है। रोग के कारण होने वाली क्षति रोग के उत्पन्न होने के समय फसल की परिस्थितियों व बाद के मौसम की अनुकूलता पर निर्भर करता है। भारत के उन क्षे़त्रो में जहा पर फूल खिलने व फली बनने के समय उच्च अर्द्वता व कम तापमान 20-20 डिग्री सेलसियस रहता हैप विशेष रूप से पत्तियों पर दिखाई देता है।
लक्षणः
रोग प्रबन्धन