भूमि का चुनाव
काबुली चना के अधिक उत्पादन के लिए भूमि का चुनाव अर्थात मिट्टी की संरचना के ज्ञान का होना प्रथम है। बलुई दोमट से लेकर दोमट तथा मटियार मिट्टी जिसमें उचित जल निकासी का प्रबन्धन हो, काबुली चना के लिए वरदान साबित होती है। इसकी खेती के लिए मार, पडुआ, कछारी जहाँ पानी नहीं भरता हो, मृदा उपयुक्त मानी जाती है। हल्की ढलान वाले खेत में खेती अच्छी होती है। एवं ढेलेदार मिट्टी में भी काबुली चना की भरपूर पैदावार की जा सकती है।
भूमि की तैयारी
खेत में मिट्टी को भली-भांति परखने के बाद खेत की तैयारी की जाती है। यह ध्यान देना आवश्यक है कि खेत की मिट्टी बहुत अधिक महीन नहीं होनी चाहिए और न ही बहुत अधिक दबी हुई। जड़ो की ठीक से बृद्धि के लिए खेत की गहरी जुताई करना लाभदायक होता है। इसके लिए खरीफ की फसल काटने के बाद एक गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चहिए। इसके बाद दो या तीन जुताइ्र देशी हल से करनी चाहिए। बड़े ढेलों को छोटे-छोटे भागों में तोड़ने तथा खेत में समतल बनाने के लिए पाटा लगाना चाहिए। क्षारीय तथा उच्च भूमिगत जल वाले खेतो का चयन काबुली चना की बुवाई के लिए न करें क्योकि चना की पैदावार में प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।