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बीज गुणवत्ता परीक्षण व बीज शोधन

बीजोपचार
काबुली चना के बीज को निम्नलिखित दो विधियों से उपचारित किया जाता है
 

रोग एवं कीटनाशी रसायनों से बीजोपचार
उकठा एवं जड़ विगलन रोग से फसल के बचाव हेतु 2.5 ग्राम थीरम या 1 से 1.5 ग्राम थीरम तथा 0.5 ग्रा. बाविस्टीन के मिश्रण से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करना चाहिए। जिन क्षेत्रों में दीमक का प्रकोप अधिक होता है, उन खेतों में 20 ई.सी. क्लोरीपायरीफास को पानी में घोलकर बीज को उपचारित करके बोना चाहिए।

खाद जीवाणु सवर्धन
विभिन्न दलहनों के लिए अलग-अलग तरह का राइजोबियम कल्चर होता है। अतः चना के बीजों को उपचारित करने के लिए संस्तुत राइजोबयिम कल्चर का ही प्रयोग करना चाहिए। एक पैकेट कल्चर (200 ग्राम) 10  कि.ग्रा. बीज को उपचारित करने के लिए पर्याप्त होता है। 100 ग्राम गुड़ को आधा लीटर पानी में घोल लेना चाहिए। घोल को गर्म करके ठण्डा करके इसमें एक पैकेट राइजोबियम कल्चर को अच्छी तरह मिला देना चाहिए। बाल्टी अथवा मिट्टी के घड़े में 10 कि.ग्रा. बीज डालकर घोल में मिला दें ताकि राइजोबियम कल्चर बीज की सतह पर भली-भाँति चिपक जायें। इस प्रकार राइजोबयिम कल्चर से सने हुए बीजों को कुछ देर के लिए छाँव में सुखा लेना चाहिए। जहाँ तक संभव हो, बीजोपचार सायंकाल में ही करें ताकि तेज धूप में बीजों के सूखने की संभावना न रहे। धूप में बीजों को सुखाने से  राइजोबियम जीवाणु मर जाते हैं, जिससे वांछित लाभ की प्राप्ति नहीं होती है।
 


राइजोबियम कल्चर की भाँति ही फॉस्फेट घुलनशील बैक्टीरिया (पी.एस.बी.) के पैकेट भी उपलब्ध रहते हैं। जिन्हें बाजार एवं नजदीक कृषि विश्वविद्यालय से खरीदा जा सकता है। राइजोबियम कल्चर की तरह ही पी.एस.बी कल्चर से बीजों का उपचार किया जाता है।
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