पोषक प्रबन्धन
खाद एवं उर्वरक प्रबन्धन
जिस खेत में काबुली चना बोना हो उस खेत की मिट्टी का रासायनिक परीक्षण करवाना चाहिए। ऐसा करने से सूक्ष्म एवं वृहत रासायनिक खादों की प्रतिशत मात्रा का ज्ञान हो जाता है। यदि भूमि की उर्वरा शक्ति अधिक हो अथवा खेतों में पूर्व फसल को अधिक मात्रा में उर्वरक दिये गये हों, वहाँ उर्वरक की मात्रा परिस्थिति के अनुसार घटाई या बढाई जा सकती है। काबुली चना के पौधों की जड़ों में पायी जाने वाली ग्रन्थियों में नत्रजन स्थिरीकरण जीवाणु पाए जाते हैं। जो वायुमण्डल से नत्रजन अवशोषित कर लेते हैं। इस नत्रजन का उपयोग पौधे अपने वृद्धि में करते हैं। सामान्य दशा में चना की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए 20 कि.ग्रा. नत्रजन, 40 कि.ग्रा. फास्फोरस, 20 कि.ग्रा. पोटाश एवं 20 कि.ग्रा. गंधक प्रति हे. का प्रयोग करना चाहिए। खेत में सूक्ष्म तत्वों की कमी होने पर जिंक सल्फेट (जस्ता) 25 कि.ग्रा. प्रति हे. तथा बोरोन एवं मॉलिब्डेनियम की कमी होने पर क्रमशः 10 कि.ग्रा. बोरेक्स पाउडर व 1.5 क्रि.ग्रा. अमोनिया मॉलिब्डेट प्रति हे. की दर से प्रयोग करने पर काबुली चना के उत्पादन में वृद्धि होती है।