सिचाई प्रबन्धन
चना के अच्छे उत्पादन के लिए सिंचाई का उचित प्रबंध होना चाहिए।प्रायः काबुली चना की खेती असिंचित क्षेत्रों में की जाती है, परन्तु यदि पानी की सुविधा हो तो फली बनते समय एक सिंचाई अवश्य करनी चाहिए। सिंचित क्षेत्रों में पहली सिंचाई, बुआई के 45-60 दिनों बाद शाखाएं बनते समय तथा दूसरी सिंचाई आवश्यकतानुसार फलियों में दाना बनते समय की जानी चहिए यदि शरद कालीन वर्षा हो जाये तो दूसरी सिचाई की आवश्यकता नही पड़ती है। यह विशेष ध्यान रहे कि जब काबुली चना के पौधों में वानस्पतिक वृद्धि अधिक न हो, इसके लिए उचित समय पर ही सिंचाई करनी चाहिए। फब्वारा विधि को अपनाकर 25 -30 प्रतिशत तक अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है एवं जल की बचत भी होती है।।