चित्तीदार सूँडी (मरूका विट्राटा)
यह कीट मूलतः अगेती अरहर का महत्वपूर्ण कीट है। परन्तु अब यह कीट मूंग में भी क्षति पहुँचा रहा है और इसके द्वारा प्रभावित क्षेत्र व्यापक हो गया है।
मूलतः यह अरहर का नाशीजीव है। प्रारम्भ में यह उर्द के कम महत्व का नाशीजीव आँका जाता रहा है। परन्तु अब यह कीट उर्द में भी क्षति पहुँचा रहा है और क्षेत्र व्यापक हो गया है।
कीट प्रबन्धन
- गर्मी में खेत की गहरी जुताई करें तथा कीडे़ की सुषुप्ता अवस्था (प्यूपा) को नष्ट कर दें।
- इसकी मादाएं प्रकाश पुंज की तरफ आकर्षित होती हैं अतः खेत में प्रकाश प्रपंच (लाइट प्रपंच) लगायें जिससे प्रौढ नाशीजीव आकर्षित हो तथा उनको नष्ट किया जा सके।
- नवजात सूडियाँ सामूहिक अवस्था में पायी जाती है। अतः इन्हें नष्ट कर दें तथा क्षतिग्रस्त पौधे को जला दें।
- पत्तियों पर विकसित हो रही सूडियों को पत्तियों सहित पकड कर उन्हें किरासिन युक्त तेल में डालकर नष्ट कर दें। सूडियों को हाथ से नही पकडनी चाहिए क्योकि खुजली होना सम्भावित है।
- यदि इनका प्रकोप अधिक हो तो इण्डोक्सोकार्व 14.5 एस.सी. 0.4 मिली प्रति लीटर पानी की दर से फसल पर छिडकाव करना चाहिए। अथवा स्पीनोसैड 45 एस.सी. 0.2 मि.ली. की दर से छिडकाव करें।