• support@dalhangyanmancs.res.in

बिहार रोयेंदार सूँड़ी

बिहार रोयेंदार सूँड़ी
यह उर्द का पत्ती खाने वाले कीटों में प्रमुख कीट है। यह कीट पौधों की पत्तियाँ, फूल और फलियों को खाकर नुकसान पहुँचाते है। इससे होने वाली आर्थिक क्षति का अनुमान लगाना आसान नहीं हैं क्योंकि पत्ती, फूल और फलियाँ तो फिर से निकल आती हैं, लेकिन प्रकाश संश्लेषण से बनने वाले पदार्थोंं का हानि को पूरित करना असंम्भव है। इन कीटों द्वारा फसल की उपज में कमीं इस बात पर निर्भर करती है कि पत्तियों को कब, कितनी और किस अवस्था में क्षति हुई है। इसकी मादा पतंगा पत्तियों की निचली सतह पर एक साथ 400-500 अण्डे एक ही स्थान पर देती है। इनसे छोटी सूड़ियाँ निकल कर झुण्ड में एक साथ पत्तियों का पूरा का पूरा हरा पदार्थ खा जाती हैं। ऐसी पत्तियां दूर से ही धूसर सफेद झिल्ली जैसी दिखायी देती हैं जिसमें बहुत सी शिशु सुड़ियाँ चिपकी होती हैं जो बड़ी होकर पूरे खेत में फैल जाती है और फसल को काफी हानि पहुँचाती हैं। वयस्क सूडियाँ पत्तियों व कोमल तना व टहनियों को खाती हैं जिससे कुछ दिनों में पौधे की लगभग सारी पत्तियाँ खत्म हो जाती है व फसल पूर्णतया क्षतिग्रत हो जाती है। इस कीट का प्रकोप अनियमित है। अनुकूल वातावरण की स्थिति में ही इसका प्रकोप अधिक होता है। यह एक बहुभक्षी कीट है जो उर्द, की फसल के अलावा अरहर, बरसीम, सरसों व सूरजमुखी की फसलों में क्षति पहुँचाता है।

कीट प्रबन्धन

  • यह कीट प्रायः झुंड में पौधों पर मिलता है। ऐसे पौधों को उखाडकर झिल्ली (पोलीथीन) में बन्द  करके नष्ट कर दें। यह इस कीट के रोकथाम का सरल व प्रभावी उपाय है।
  • बवेरिया बैसियाना (4 मि.ली. प्रति लीटर पानी) में मिलाकर छिडकाव इस कीट के छोटी सूड़ियों का प्रभावी जैविक प्रबंधन विकल्प है।
  • क्वीनालफोस 25 ई.सी. (1.25 मि.ली. प्रति लीटर पानी) अथवा फन्थोएट 50 ई.सी. (0.8 मि.ली. प्रति लीटर) से छिडकाव प्रभावी होता है।

​यह उर्द का पत्ती खाने वाले कीटों में प्रमुख कीट है। यह कीट पौधों की पत्तियाँ, फूल और फलियों को खाकर नुकसान पहुँचाते है। इससे होने वाली आर्थिक क्षति का अनुमान लगाना आसान नहीं हैं क्योंकि पत्ती, फूल और फलियाँ तो फिर से निकल आती हैं, लेकिन प्रकाश संश्लेषण से बनने वाले पदार्थोंं का हानि को पूरित करना असंम्भव है। इन कीटों द्वारा फसल की उपज में कमीं इस बात पर निर्भर करती है कि पत्तियों को कब, कितनी और किस अवस्था में क्षति हुई है। इसकी मादा पतंगा पत्तियों की निचली सतह पर एक साथ 400-500 अण्डे एक ही स्थान पर देती है। इनसे छोटी सूड़ियाँ निकल कर झुण्ड में एक साथ पत्तियों का पूरा का पूरा हरा पदार्थ खा जाती हैं। ऐसी पत्तियां दूर से ही धूसर सफेद झिल्ली जैसी दिखायी देती हैं जिसमें बहुत सी शिशु सुड़ियाँ चिपकी होती हैं जो बड़ी होकर पूरे खेत में फैल जाती है और फसल को काफी हानि पहुँचाती हैं। वयस्क सूडियाँ पत्तियों व कोमल तना व टहनियों को खाती हैं जिससे कुछ दिनों में पौधे की लगभग सारी पत्तियाँ खत्म हो जाती है व फसल पूर्णतया क्षतिग्रत हो जाती है। इस कीट का प्रकोप अनियमित है। अनुकूल वातावरण की स्थिति में ही इसका प्रकोप अधिक होता है। यह एक बहुभक्षी कीट है जो उर्द, की फसल के अलावा अरहर, बरसीम, सरसों व सूरजमुखी की फसलों में क्षति पहुँचाता है।

 

 

कीट प्रबन्धन

  • यह कीट प्रायः झुंड में पौधों पर मिलता है। ऐसे पौधों को उखाडकर झिल्ली (पोलीथीन) में बन्द करके नष्ट कर दें। यह इस कीट के रोकथाम का सरल व प्रभावी उपाय है।
  • बवेरिया बैसियाना (4 मि.ली. प्रति लीटर पानी) में मिलाकर छिडकाव इस कीट के छोटी सूड़ियों का प्रभावी जैविक प्रबंधन विकल्प है।
  • क्वीनालफोस 25 ई.सी. (1.25 मि.ली. प्रति लीटर पानी) अथवा फन्थोएट 50 ई.सी. (0.8 मि.ली. प्रति लीटर) से छिडकाव प्रभावी होता है।